लैप्रोस्कोपी – दूरबीन की जाँच

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लैप्रोस्कोपी - दूरबीन की जाँच

लैप्रोस्कोपी एक जाँच की प्रक्रिया है जो आमतौर पर निःसंतानता के कारण को जानने के लिए की जाती है। लैप्रोस्कोपी को दूरबीन की जाँच या मिनिमल इनवेसिव सर्जरी भी कहते हैं l

लैप्रोस्कोपी निम्न समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है -

  1. निःसंतानता (बांझपन) के कारण
  2. फैलोपियन ट्यूब्स की ब्लॉकेज
  3. एंडोमेट्रियोसिस
  4. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
  5. फाइब्रॉइड्स (बच्चे दानी की गठान)
  6. ओवेरियन सिस्ट् (अंडाशय की गठान)
  7.  अंडाशय या गर्भाशय में कोई अनियमितता आदि

लैप्रोस्कोपी प्रक्रिया क्या होती है ?

लैप्रोस्कोपी प्रक्रिया के दौरान कुछ सर्जिकल उपकरणों को 2 से 3 छोटे कट के माध्यम से पेट के अंदर डाला जाता है, इन उपकरणों में शामिल है –

-लेप्रोस्कोप (एचडी वीडियो कैमरा)

– छोटे सर्जिकल टूल्स

– लाइट (प्रकाश) के साथ एक फाइबर ऑप्टिक ट्यूब

लैप्रोस्कोप लगाने से निःसंतानता विशेषज्ञ (सर्जन) गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे प्रजनन अंगों सहित पुरे पेल्विक एरिया को अच्छे से देख सकते है।

क्या सभी निःसंतान दम्पति को लैप्रोस्कोपी की सलाह दी जाती है?

यदि कोई दम्पति सभी जाँच रिपोर्ट सामान्य होने के बावजूद गर्भधारण नहीं कर पाते तो लैप्रोस्कोपी की सलाह दी जाती है। इस प्रक्रिया को ‘डायग्नोस्टिक लैप्रोस्कोपी’ भी कहा जाता है – जिसका उद्देश्य निःसंतानता के कारण का पता करना है।

महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए सोनोग्राफी और ट्यूब का एक्सरे जैसे परीक्षणों के मुकाबले लैपरोस्कोपी के क्या लाभ होते हैं?

लैप्रोस्कोपी के दौरान, एक लैप्रोस्कोप पुरे पेल्विक एरिया की एचडी ट्रांसमिशन कैप्चर करने में सक्षम होता है। इससे निःसंतानता का कारण पता करना बहुत आसान हो जाता है। वहीं सोनोग्राफी  और ट्यूब का एक्सरे (एचएसजी) जैसे परीक्षण कुछ हद तक ही इनफर्टिलिटी (बांझपन) के कारण को पता करने की क्षमता रखते हैं।  यह सिर्फ किसी भी शारीरिक अंग की ब्लेक एंड व्हाइट फोटो देखने जैसा होता है।

क्या अस्पष्टीकृत बांझपन (Unexplained Infertility) के लिए लैप्रोस्कोपी कराना उचित है?

अनएक्सप्लैन्ड इनफर्टिलिटी (अस्पष्टीकृत बांझपन) के मामलो में बेसलाइन अल्ट्रासाउंड (सोनोग्राफी), सीमेन एनालिसिस जैसी अधिकांश रिपोर्ट सामान्य होने के कारण निःसंतानता का सही कारण स्पष्ट नहीं हो पाता। इससे निःसंतानता का उपचार करना बहुत मुश्किल होता है।

बेसलाइन अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी, एंडोमेट्रियम और गर्भाशय की सामान्य संरचना के आंकलन के लिए इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही उसका उपयोग ओवुलेटरी फ़ंक्शन की निगरानी के लिए भी होता है।

परन्तु ट्यूबल सिस्ट कभी-कभी फैलोपियन ट्यूब में मौजूद होती हैं लेकिन अल्ट्रासाउंड पर दिखाई नहीं देती हैं। इसे लैप्रोस्कोपी के दौरान देखा जा सकता है।

दूसरी ओर ट्यूब की एक्सरे जांच से फैलोपियन ट्यूब खुली है या बंद इसका परीक्षण किया जाता है, लेकिन इससे फैलोपियन ट्यूब में कोई संक्रमण है या नहीं, यह जान पाना मुश्किल होता है। यदि ट्यूबल टीबी का उपचार न किया जाए तो यह निःसंतानता का कारण बन सकता है।

वहीं लैप्रोस्कोपी न केवल ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब का परीक्षण करता है बल्कि किसी संक्रमण की वजह से पेलवीक एरिया में सूजन या गर्भाशय का ट्यूब के साथ चिपकने की स्थति को भी देखने में मदद करता है। गर्भाशय का ट्यूब के साथ चिपकने से अंडाशय और गर्भाशय के बीच का संबंध बाधित होता है, जिसके कारण अंडाणु निकलने के बाद फैलोपियन ट्यूब तक नहीं पहुंच पाते और इसलिए गर्भधारण नहीं हो पाता है ।

लैप्रोस्कोपी, एंडोमेट्रियोसिस का आंकलन करने में भी मदद करती है जो की महिला के प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। लैप्रोस्कोपी के दौरान ओवेरियन सिस्ट को भी देखा जा सकता है। इसलिए कई बार, खासकर जब महिला की उम्र 30 के करीब हो या संक्रमण का संदेह होने का कोई कारण हो, तो तुरंत डायग्नोस्टिक लैप्रोस्कोपी कराने की सलाह दी जाती है।

क्या लैप्रोस्कोपी में दर्द होता है ?

लैप्रोस्कोपी में मरीज को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता  है, जिससे प्रक्रिया के दौरान मरीज को दर्द नहीं होता है। इसमें आमतौर पर लगभग 15 से 20 मिनट लगते हैं। यह एक छोटी सी प्रक्रिया होती है, जिसमें पेट पर एक छोटा कट या छेद किया जाता है जिसे दो से तीन टांके का उपयोग करके बंद कर दिया जाता है । इस प्रक्रिया के बाद, मरीज को 2 से 3 दिनों के लिए दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। लैप्रोस्कोपी के बाद मरीज को आमतौर पर थोड़ी असुविधा महसूस होती है, लेकिन बहुत ज्यादा या गंभीर दर्द महसूस नहीं होता है।

लैप्रोस्कोपी कराने के बाद मरीज को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

लैप्रोस्कोपी एक मिनिमल इनवेसिव सर्जरी (छोटी सी प्रक्रिया)  है इसलिए मरीज को इसे कराने के बाद बहुत अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता नहीं होती है। डॉक्टर सलाह देते है की प्रक्रिया के तुरंत बाद मरीज गंभीर व्यायाम आदि न करें। लैप्रोस्कोपी के बाद मरीज अपना नियमित काम जारी रख सकते हैं।

लैप्रोस्कोपी के लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है ?

लैप्रोस्कोपी एक आउटपेशेंट प्रक्रिया है जिसमें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है। मरीज को आमतौर पर प्रक्रिया के 3 से 4 घंटे बाद छुट्टी दे दी जाती है। एक बार छुट्टी मिलने के बाद, सुनिश्चित करें कि मरीज 2 से 3 दिनों के लिए अपने डॉक्टर द्वारा बताई गई दर्द निवारक और एंटीबायोटिक दवाएँ जरूर लें।

क्या लैप्रोस्कोपी के बाद बेडरेस्ट की आवश्यकता होती है ?

लैप्रोस्कोपी के बाद आमतौर पर मरीज को बेडरेस्ट की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन हाँ, मरीज को दो से तीन दिनों तक हलकी असहजता महसूस हो सकती है जो खुद ही ठीक हो जाती है। सुनिश्चित करें कि प्रक्रिया के बाद 3 से 4 दिनों तक स्वस्थ भोजन करें और अच्छे से नींद लें।

लैप्रोस्कोपी में कितना खर्च आता है ?

लैप्रोस्कोपी में तकरीबन 30 से 35 हजार रूपए तक का खर्च लगता है। 

लैप्रोस्कोपी और हिस्ट्रोस्कोपी के बीच क्या अंतर है?

लैप्रोस्कोपी और हिस्ट्रोस्कोपी वह चिकित्सा प्रक्रियाएँ हैं, जिनका उपयोग महिलाओं के प्रजनन प्रणाली की समस्याओं को जानने के लिए किया जाता है।

लैप्रोस्कोपी में नाभि के पास एक छोटा सा कट (चीरा) लगाकर लैप्रोस्कोप डाला जाता है, इससे विशेषज्ञ को अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय जैसे प्रजनन अंगों सहित संपूर्ण पेल्विक एरिया को देखने में मदद मिलती है।

हिस्ट्रोस्कोपी में योनि (vagina) के माध्यम से एक हिस्ट्रोस्कोप डाला जाता है जो विशेषज्ञ को फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय के अंदर के हिस्से को देखने में मदद करता है।  हिस्ट्रोस्कोप, लैप्रोस्कोप की तरह एक उपकरण है जिसमें एक एचडी कैमरा भी लगा होता है। जिससे गर्भाशय के अंदर कोई पोलिप्स, गर्भाशय में ट्यूमर या फाइब्रॉइड, गर्भाशय में कोई जन्मजात विकार (यूटरस में सेप्टम ) तो नहीं है आदि देखने में सहायता मिलती है ।

हिस्टेरो- लैप्रो क्या है?

हिस्टेरो-लैप्रो, लेप्रोस्कोपी के साथ संयुक्त हिस्ट्रोस्कोपी का संक्षिप्त रूप है। इस प्रक्रिया के दौरान प्रजनन अंगों का आंकलन करने के लिए लेप्रोस्कोप और हिस्ट्रोस्कोप दोनों डाले जाते हैं। दम्पति की सभी रिपोर्ट सामान्य होने पर निःसंतानता के मामलों में गर्भाशय, एंडोमेट्रियम, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब के पूर्ण मूल्यांकन के लिए लैप्रोस्कोपी और हिस्ट्रोस्कोपी दोनों को संयोजित किया जाता है।

क्या लैप्रोस्कोपी के तुरंत बाद प्रेग्नेंसी प्लान कर सकते है ?

हाँ, बिलकुल ! लैप्रोस्कोपी के अगले साईकल के दौरान दम्पति प्रेग्नेंसी प्लान कर सकते है।

आईवीएफ के लिए लैप्रोस्कोपी के बाद कितने समय तक इंतजार करना चाहिए ?

लैप्रोस्कोपी के बाद अगली माहवारी (Next Period Cycle) से आईवीएफ प्लान कर सकते हैं।

क्या लैप्रोस्कोपी के बाद आईवीएफ सफलता दर में सुधार होता है?

यदि डायग्नोस्टिक लैप्रोस्कोपी के दौरान कुछ गर्भाशय या छोटी मोटी आंतरिक विकृति को ठीक कर दिया गया हो तो इसके परिणामस्वरूप आईवीएफ की सफलता दर बेहतर हो सकती है। हालाँकि, ऐसा कोई सबूत नहीं है जो ऐसा सुझाव देता हो।

क्या लैप्रोस्कोपी के बाद निःसंतान महिला के अंडो की गुणवत्ता में सुधार होता है?

लैप्रोस्कोपी या हिस्ट्रोस्कोपी अंडाशय में अंडों की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करती है।

क्या लैप्रोस्कोपी में कोई जोखिम या रिस्क होता है ?

जनरल एनेस्थीसिया से जुड़े नियमित जोखिमों के अलावा, लैप्रोस्कोपी या हिस्ट्रोस्कोपी में रक्तस्राव का न्यूनतम जोखिम शामिल होता है।

क्या लैप्रोस्कोपी के बाद कोई लम्बे समय तक चलने वाली दवाइयाँ लेनी पड़ती है?

लैप्रोस्कोपी के बाद मरीज को 3 से 5 दिनों के लिए दर्द निवारक दवाएं और एंटीबायोटिक दवाओं का संक्षिप्त कोर्स दिया जाता है l