टेस्ट ट्यूब बेबी या आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर क्या होती है?

अक्सर आईवीएफ में गर्भधारण के संभावना के विषय में ये समझना मुश्किल होता है की हकीकत में सफलता दर कितनी होती है।कोई 30% से 40% बताता है तो कोई 70% से 80% । ऐसी स्तिथि में निम्न तथ्य समझना ज़रूरी है:

आईवीएफ सम्बंधित कुछ परिभाषाएं :

आईवीएफ सम्बंधित कुछ परिभाषाएं

फ्रेश आईवीएफ साइकिल किसे कहते हैं ?

: आईवीएफ चक्र में अंडाशय में से अंडे निकालना, शुक्राणु से निषेचित करना, भ्रूण बनाना एवं उसी चक्र में भ्रूणों को गर्भाशय में प्रस्थापित करना. जब से सारी प्रक्रियाएं एक सके बाद की जाय तब इसे फ्रेश IVF साईकल कहा जाता है .

एम्ब्र्यो  क्रायोप्रिजर्वेशन किसे कहते हैं ?

यदि एक IVF साईकल इ एम्ब्र्यो ट्रान्सफर के बाद अतिरिक्त भ्रूण बाख जाए तो उन बचे हुए भ्रूणों को -196 डिग्री तापमान पर संगृहीत करने की प्रक्रिया को एम्ब्र्यो क्रायोप्रिजर्वेशन कहते हैं . इस प्रक्रिया के दौरान भ्रूण विशेषज्ञ कुछ ख़ास सोल्कायुशन का इस्तमाल कर लिक्विड नाइट्रोजन  के द्वारा -196 डिग्री तापमान पर भ्रूणों को संगृहीत करते हैं . यह प्रक्रिया सही तरह से न की जाय तो भ्रूणों को नुक्सान पहुँच सकता है , इसलिए यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है की जिस IVF लैब से आप अपना टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया करवा रहे हैं , वहां प्रशिक्षित भ्रूण विशेषज्ञ हो .

FET (फ्रोज़ेन एम्ब्र्यो ट्रांसफर )  क्या होता है ?

संगृहीत भ्रूणों  को -196 डिग्री से सामान्य तापमान पर लाना एवं गर्भाशय में प्रस्थापित करना इस प्रक्रिया को FET यानी फ्रोज़न एम्ब्र्यो ट्रान्सफर कहते हैं

यह  प्रक्रिया आईवीएफ चक्र के 1.5 से 2 महीने बाद की जाती है.

जिस तरह भ्रूणों को संग्रहण करने के लिए प्रशिक्षित भ्रूण विशेषज्ञ होना ज़रूरी है , ठीक उसी तरेह संगृहीत भ्रूण को फ्रोज़न एम्ब्र्यो ट्रान्सफर से पहले सामान्य तापमान पर लाने के लिए भी अनुभवी भ्रूण विशेषज्ञ होना बहुत ज़रूरी है .

आइये अब समझते हैं की टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया की सफलता दर सामान्यतः क्या होती है.

यदि 1000 मरीज़ों का टेस्ट ट्यूब बेबी या आईवीएफ द्वारा इलाज किया जाय तो आंकड़े कुछ इस तरह रहेंगे:

फ्रेश एम्ब्र्यो ट्रान्सफर की सफलता दर 35% के करीब होती है , वहीँ  फ्रोज़न एम्ब्र्यो ट्रान्सफर की सफलता दर 60 % से 70 % होती है 

टेस्ट ट्यूब बेबी या आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर

पहले आईवीएफ चक्र के बाद 1000 में से तकरीबन 350 महिलायें गर्भधारण करने में सफल होंगी। (सफलता दर 35 %)

बची हुई 650 महिलायें जब दूसरा प्रयास एफईटी (FET) द्वारा प्रयास करेंगी तो इनमे से 60% यानी 390 महिलाओं को सफलता मिलेगी। (फ्रोज़न एम्ब्र्यो ट्रान्सफर सफलता दर 60 %)

तीसरे प्रयास में यदि बची हुई 260 महिलाओं का FET  किया जाय तो उनमे से 156 महिलाएं गर्भधारण करने में सफल रहेंगी|

अर्थात पहले प्यास में 30% से 40% तक की एकल सफलता दर होती है, एवं तीन प्रयास एम्ब्र्यो ट्रान्सफर के  पश्चात संचित सफलता दर तकरीबन 90% होती है।

अधिकतक मरीज़ों को  1 से  2 प्रयास लगते हैं , अर्थात आईवीएफ की संचित सफलता दर करीबन  89% होती है.

क्या हमेशा फ्रोजेन एम्ब्र्यो ट्रान्सफर ही करवाना चाहिए ?

आइवीएफ़ की सफलता दर बहुत से कारकों पर निर्भर होती है . IVF की सफलता दर से सम्बंधित जो भी आंकड़े हैं वो मरीज़ की उम्र को 35 वर्ष से कम मान कर दी जाती है.

इसलिए यह ज़रूरी है की हर पेशेंट की सफलता दर एक नहीं हो सकती ये बात आइवीएफ़ करवाने से पहले ही मरीज़ को समझाया जाय.

 यदि आपके IVF स्पेशलिस्ट को लगता है की फ्रेश एम्ब्र्यो ट्रान्सफर करवाने पर आपके प्रेग्नेंट होने के चांस है तो वो आपको फ्रेश एम्ब्र्यो ट्रान्सफर की सलाह देंगे .

 

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