Sonography

फॉलिकल स्टडी क्या होता है ?

महिलाओं के अंडाशय में कई अंडे अपरिपक्व स्थिति में होते हैं। हर मासिक चक्र में उनमे से कुछ अंडे होर्मोनेस के प्रभाव से बढ़ना शुरू होते हैं, और उनमे से कुछ दिनों में केवल एक ही अंडा परिपक्व होने के बाद फूटता है।  इस प्रक्रिया को ओव्यूलेशन कहा जाता है।  इस पूरी प्रक्रिया को जब सोनोग्राफी की मदद से देखा जाता है, तब उसे ओव्यूलेशन स्टडी अथवा फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग कहते हैं। आम तौर पर फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग 12-16 दिन तक की जाती है, पर ज़रुरत पड़ने पर मासिक चक्र के अनुसार इसके दिनों को बढ़ाया या घटाया जा सकता है। 

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग ओव्युलेशन स्टडी करने की सलाह कब दी जाती है ?

आम तौर पर फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग अंडाशय में से अंडे फूटने की प्रक्रिया ( ओव्यूलेशन) हो रही है या नहीं ये देखने के लिए की जाती है। मासिक चक्र के 12-16 दिन के बीच आम तौर पर ओव्यूलेशन अथवा अंडे फूटने की प्रक्रिया होती है। 

निम्न स्थितियों में फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की आवश्यकता होती है:

  • अंडाशय में से अंडे फुट रहे है या नहीं यह देखने के लिए, और सम्भोग का सही दिन निर्धारित करने के लिए।
  • आई यु आई (IUI ) अथवा आई वि ऍफ़ (IVF) के समय दी गई दवाओं के असर से अंडाशय में अंडे बन रहे हैं या नहीं यह जानने के लिए।

फॉलिकल स्टडी करवाने के लिए कितनी बार सोनोग्राफी करवानी पड़ती है ?

ये पेशेंट दर पेशेंट बदल सकता है , किसी किसी को ३ बार जाना पद सकता है और किसी को ४ 

फॉलिकल स्टडी  कैसे की जाती है ?

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग के लिए नीचे  ( योनि )  के रस्ते सोनोग्राफी कर के अंडाशय और गर्भाशय की जांच की जाती है। कुछ स्थितिओं में पेट से सोनोग्राफी कर के भी ये जांच की जाती है, परन्तु पेट से सोनोग्राफी करने से उतनी सटीक जानकारी नहीं मिलती। 

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की एक सोनोग्राफी जांच में कितना समय लगता है ?

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की एक सोनोग्राफी जांच में लगभग 5-10 मिनट का समय लगता है।

क्या फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग में दर्द होता है ?

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच में नीचे  ( योनि ) से सोनोग्राफी की जाती है। आम तौर पर इसमें दर्द नहीं होता है, थोड़ी असहजता हो सकती है। 

क्या फॉलिकल स्टडी कराने के लिए पेशाब रोक कर रखनी होती है ?

नहीं, फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच में पेशाब को रोक कर रखने की आवश्यकता नहीं होती है। नीचे से सोनोग्राफी करने से पहले आपको पेशाब कर के आने को कहा जाएगा। केवल पेट से सोनोग्राफी करने के लिए पेशाब रोकने की सलाह दी जाती है। 

क्या फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच से पहले खाली पेट रहना होता है ? क्या मैं फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग से पहले कुछ खा सकती हूँ ?

हाँ, आप फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग से पहले खा पी सकते हैं, इस जांच में खली पेट रहने की आवश्यकता नहीं होती है। 

फॉलिकल स्टडी  करने की आवश्यकता कब पड़ती है ?

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग अंडाशय में अंडों की बढ़त और अंडे फूटने की प्रक्रिया होने की जांच करने के लिए की जाती है । निम्न कारणों से फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की सलाह दी जाती है :

  • अंडाशय में अंडे फूटने की प्रक्रिया हो रही है या नहीं।
  • अंडे बनाने की दवा देने के बाद अंडाशय में अंडे बनने की प्रक्रिया हो रही है या नहीं यह देखने के लिए।
  • आई वि ऍफ़ के दौरान दी गई दवाओं के प्रभाव से अंडे बनने की प्रक्रिया की जांच और अंडे निकालने का सही समय निश्चित करने के लिए।
  • आई यु आई या सम्भोग का सही समय निर्धारित करने के लिए।

ओव्यूलेशन स्टडी के दौरान आम तौर पर फॉलिकल का क्या माप पाया जाता है ?

मासिक चक्र के निम्न दिनों पर फॉलिकल ( अण्डों ) का यह माप पाया जाता है :

  • पहले 1-5 दिन – 6-8 मिलीमीटर के कई फॉलिकल पाए जाते हैं।
  • 6-8 दिन पर – काम से काम 1 प्रमुख 10 मिलीमीटर का अंडा बनने लगता है।
  • अंडा प्रतिदिन 2-3 मिलीमीटर से बढ़ते हुए, 12वे दिन तक लगभग 20 मिलीमीटर का हो जाता है।
  • 12-16 वे दिन के बींच अंडा फूट जाता है, और अंडाशय में उसका बचा हुआ हिस्सा दिखने लगता है, जिसे कार्पस लुटियम कहते हैं।

एक मासिक चक्र में कितनी बार फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच की जाती है ?

एक मासिक चक्र में फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच कई बार की जा सकती है। जांच के लिए निम्न  दिन आवश्यक हैं :

  • 2-6 दिन के बीच: फॉलिकल्स की संख्या और अंडाशय में किसी भी गठान की जांच के लिए।
  • 11/12 दिन: आकर में सबसे बड़े अंडे को देखने के लिए।
  • 12-16 दिन के बीच: अंडे के फूटने की जांच करने के लिए।

अगर 16 वे दिन तक अंडे के फूटने का पता न चले, तो कभी कभी जांच 1-2 दिन और भी की जा सकती है।

Follicle study indore

क्या अंडे बनाने की दवा लेने की स्थिति में फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच में कुछ अलग परिणाम मिलते हैं ?

अंडे बनाने की दवा लेने की स्थिति में एक से ज़्यादा अंडे बनते हुए पाए जा सकते है। जांच की प्रक्रिया में इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है। 

अण्डों की बढ़त की दर, माप और आकर का क्या महत्व है ?

जिन अण्डों की बढ़त सही दर से होती है, और जिनका माप और आकर मासिक चक्र के दिन के अनुसार पाया जाता है, आम तौर पर वो अच्छी गुणवत्ता के अंडो में तब्दील हो जाते हैं, और जो अंडे धीरे बढ़ते हैं या उनका माप और आकर मासिक चक्र के दिन के अनुसार नहीं बढ़ता वो श्रेष्ठ गुणवत्ता के अंडे काम ही बन पते हैं।

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच का नि:सानतंता के इलाज में क्या उपयोग है ?

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग के इस्तेमाल से निसन्तान्ता के इलाज में दी गई दवाओं के असर को देखा जा सकता है , यह जांच निम्नलिखित  के लिए उपयोगी है :

  • आई यु आई या अंडो को निकालने की प्रक्रिया का दिन निर्धारित करने के लिए।
  • आई वि ऍफ़ या अंडे बनाने की दवा देने की स्थिति में दवाओं की मात्रा निर्धारित करने के लिए इसका उपयोग हो सकता है।
  • इस जांच से आई वि ऍफ़ और अंडे बनाने की दवा देने की स्थिति में इलाज के परिणाम को आँका जा सकता है।
  • इस जांच से आई वि ऍफ़ के समय होनी वाली समस्या जैसे ओ एच एस एस का भी पता लगाया जा सकता है।
  • इस जांच से प्राकृतिक मासिक चक्र के में भ्रूण प्रत्यारोपण के दिन को भी निर्धारित किया जा सकता है।

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच के लिए मुझे कितनी बार बुलाया जाएगा ?

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग रोज़ या हर दूसरे दिन की जा सकती है। इसके लिए आपको मासिक चक्र के 11वे दिन से 16वे दिन के बीच आने को कहा जाएगा ।

क्या फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग के कोई दूसरे विकल्प हैं ? क्या मैं इस जांच की जगह एल एच किट का उपयोग कर सकती हूँ ?

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग अंडे फूटने की प्रक्रिया की जांच का एक उपयोगी साधन है।  कुछ  विकल्प  हैं, पर  वे सटीक जानकारी नहीं दे पाते जैसे :

  • पेशाब की जांच में एल एच किट का उपयोग : यह जांच आसानी से की जा सकती है, परंतु 3 % गलत परिणाम दिखा सकती है। यह जांच सोनोग्राफी से ज़्यादा महंगी भी हो सकती है।  इस जांच से केवल अंडे फूटने की प्रक्रिया के शुरू होने का पता चल पता है, न की पूर्ण रूप से इसकी पुष्टि हो पति है। 
  • खून की जांच : खून में प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन की जांच की जा सकती है, पर इससे केवल पहले से ही फूटे हुए अंडे की पुष्टि हो पाती है, न की बाद में फूटने वाले अंडे की। इस जांच में सूई द्वारा खून का नमूना लिया जाता है , इसलिए यह ज़्यादा तकलीफ दायक जांच भी है। 

क्या आई यु आई या आई वि एफ में अलग अलग तरह से फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जाती है ?

 हाँ, दिए गए इलाज के अनुसार फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच में बदलाव किया जा सकता है। 

क्या फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग में नीचे  (योनि )के रास्ते सोनोग्राफी करना ही ज़रूरी है ? क्या पेट से सोनोग्राफी कर के ये जांच हो सकती है ?

 नीचे के रस्ते सोनोग्राफी से ही अंडाशय की जांच सबसे अच्छे तरीके से हो सकती है , किन्ही स्थितियों में पेट से भी सोनोग्राफी की जा सकती है, परन्तु उससे एकदम सटीक जानकारी हमेशा नहीं मिल पाती है। 

क्या फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग हर दिन एक ही समय पर की जानी चाहिए ?

 नहीं, हर दिन एक ही समय पर जांच करना अनिवार्य नहीं है, परन्तु बताये गए दिन पर ही जांच करना ज़रूरी है।

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की जांच में क्या परिणाम देखे जा सकते हैं ?

फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की रिपोर्ट में निम्न चीज़ों का वर्णन किया जाता है :

  • हर अंडाशय में अंडो की संख्या।
  • अंडो की बढ़त की दर।
  • अंडे फूट रहे हैं या नहीं।
  • मासिक चक्र के अलग अलग दिन में गर्भाशय की अंदरूनी परत की मोटाई की जानकारी।

फॉलिकल स्टडी में कितना खर्चा लगता है ?

देश के अलग अलग भागों में इस जांच की कीमत अलग है, आम तौर पर  इस जाँच की कीमत 800-2000  प्रति सोनोग्राफी होती है।