सरोगेसी

सरोगेसी

ऐसी निःसंतान महिलाएं जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने मे असमर्थ होती है उनके लिए “सरोगेसी” माँ बनने का एक विकल्प है। किसी दम्पति को निम्न स्थितियों में सरोगेसी का चयन करने की आवश्यकता हो सकती है, जैसे –

  • महिला के गर्भाशय में किसी तरह की समस्या होना
  • बार-बार गर्भपात होना या गर्भ न ठहरना
  • गर्भाशय कमजोर होना
  • कई बार आईवीएफ उपचार असफल होना
  • कैंसर या कोई अन्य बीमारी की वजह से गर्भाशय को निकाल दिया गया हो।
  • साथ ही, महिला का किसी बीमारी की वजह से गर्भधारण करना असुरक्षित हो आदि।

सरोगेट मदर कौन होती है ?

सरोगेट मदर वह महिला होती है जो सरोगेसी के जरिए शिशु को जन्म देती है।

कौन सी महिला सरोगेट माँ बन सकती है ?

सरोगेट माँ या सरोगेट मदर वह महिला बन सकती है जो विवाहित हो या तलाकशुदा हो यानी की कुंवारी न हो एवं जिनका कम से कम एक बच्चा पहले से ही हो भारतीय अधिनियमों के तहत सरोगेट मदर बनने वाली महिला भारतीय नागरिक होना चाहिए और उस महिला की उम्र 25 से 35 वर्ष के भीतर होना चाहिए । साथ ही चिकित्सक द्वारा वह महिला मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं प्रमाणित होनी चाहिए।

सरोगेसी कौन करा सकता है ?

1. सरोगसी वह इन्टेन्डेड कपल (विवाहित दम्पति ) ही करा सकते है जिन्हे निःसंतानता के मेडिकल इंडिकेशन (चकित्सीय संकेत) हो।
2. सरोगसी करवाने वाले इच्छुक दम्पति की आयु  इस प्रकार होनी चाहिए –

  • पुरुष – 26 से 55 वर्ष के बीच
  • महिला – 23 से 50 वर्ष के बीच

 3. सरोगेसी एकल महिला (सिंगल वूमेन – जो तलाकशुदा या विधवा है) भी करा सकती है लेकिन सिर्फ स्वयं के अंडो से।

NOTE : कोई भी एकल पुरुष (सिंगल मेन) सरोगसी  नहीं करवा सकते है।

सरोगेसी की प्रक्रिया कैसे होती है ?

सरोगेसी की प्रक्रिया में निःसंतान महिला के अंडाशय को इंजेक्शन व दवाइयों के जरिये उत्तेजित किया जाता है और सोनोग्राफी के माध्यम से अंडे परिपक्व हुए है या नहीं यह देखा जाता है । परिपक्वता (अंडो के उपयुक्त साइज) आने पर निःसंतान महिला के अंडो को ओवम पिकअप प्रक्रिया के जरिये निकाला जाता है और उसके साथी पुरुष के शुक्राणु के साथ उन्हें IVF लैब में निषेचित किया जाता है। निषेचन प्रक्रिया से तैयार भ्रूण  सरोगेट महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर (स्थानांतरित) किया जाता है।

सरोगेसी में होने वाले शिशु का जेनेटिक (आनुवांशिक) संबंध किससे होता है ?

सरोगेसी की प्रक्रिया आईवीएफ (IVF) के जरिए होती है। इसलिए इस प्रक्रिया में बनने वाला भ्रूण निःसंतान दम्पति या इच्छुक माता-पिता के अंडे व शुक्राणुओं को लैब में निषेचित कर बनाया जाता है। जिसे सरोगेट मदर या सरोगेट महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।

क्योंकि अंडे एवं शुक्राणु इच्छुक माता पिता के होते है, इसलिए इस प्रक्रिया में बच्चे का जैनेटिक संबंध, निःसंतान दम्पति  (इच्छुक माता-पिता ) दोनों से होता है। इस प्रकार की सरोगेसी प्रक्रिया में सरोगेट माँ का बच्चे के साथ कोई भी आनुवंशिक संबंध नहीं होता l

भारत में सरोगेसी के क्या अधिनियम है ?

सरोगेसी के अधिनियम –

भारत में सरोगेसी को लेकर कुछ अधिनियम है जिनका पालन निःसंतान दम्पति और सरोगेट महिला को करना आवश्यक होता है –

  1. सरोगेसी के जरिए माता पिता बनने वाले इच्छुक निःसंतान दम्पति भारतीय निवासी (Indian Citizen) होने चाहिए।
  2. ऐसे विवाहित दम्पति जो सरोगेसी के जरिए माता पिता बनना चाहते है, उनकी कोई भी स्वयं की या गोद ली हुई संतान नहीं होना चाहिए।
  3. सरोगेसी करवाने वाले पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष एवं महिला की आयु 23 से 50 वर्ष होना चाहिए।
  4. भारत में “राष्ट्रीय एआरटी एवं सरोगेसी रजिस्ट्री में रजिस्टर्ड सरोगेसी सेंटर” से ही सरोगेसी करवाना मान्य है ।
  5. भारत में कमर्शियल सरोगेसी (सरोगेट मदर बनने वाली महिला को पैसे देकर होने वाली सरोगेसी ) पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।

NOTE: सरोगेसी करवाने वाले इच्छुक दम्पति एवं सरोगेट महिला के पास निम्न प्रमाणपत्र होना आवश्यक है

  1. जिला चिकित्सा बोर्ड द्वारा सरोगेसी संकेत का प्रमाण पत्र (Certificate of medical indication by district medical board )
  2. पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर (R.M.P) द्वारा सरोगेट मां की मेडिकल और मनोवैज्ञानिक फिटनेस का प्रमाण पत्र (Certificate of medical and psycological fitness of surrogate mother by RMP)
  3. जिला मजिस्ट्रेट द्वारा बच्चे के पालन-पोषण और अभिरक्षा का आदेश पत्र (Order for parentage and custody of child by district magistrate)
  4. किसी भी बीमा कंपनी द्वारा सरोगेट मदर बनने वाली महिला का बीमा (Insurance of the surrogate mother by any insurance company)
process flow chart for couples availing surrogacy

सरोगेसी में लगने वाला खर्च कितना होता है ?

सरोगेसी में लगने वाले खर्च पूर्ण रूप से निर्धारित बता पाना मुश्किल है क्योंकि इसके खर्चो में शामिल है –

  1. IVF प्रक्रिया का खर्च
  2. सरोगेट मदर के गर्भावस्था काल में लगने वाली दवाइयों एवं सोनोग्राफी का खर्च
  3. सरोगेट महिला के प्रसव में होने वाला खर्च।

सरोगेसी सम्बंधित कुछ सवाल भी –

कमर्शियल सरोगेसी क्या होती है ?

सरोगेट मदर बनने वाली महिला को पैसे देकर होने वाली सरोगेसी को कमर्शियल सरोगेसी कहते हैं और भारत के अधिनियम के अनुसार कमर्शियल सरोगेसी पूरी तरेह से प्रतिबंधित है .

 

सरोगेसी कराने के लिए कौन कौन से डाक्यूमेंट्स की ज़रूरत होती है ?

सरोगेसी के लिए निम्न डाक्यूमेंट्स की ज़रूरत होती है :

a. गायनेकोलॉजिस्ट  द्वारा प्रमाणित सर्टिफिकेट ऑफ़ मेडिकल इंडिकेशन

b. आर्डर ऑफ़ पैरेंटऐज

c. सर्टिफिकेट ऑफ़ मेडिकल एंड साइकोलॉजिकल फिटनेस ऑफ़ सरोगेट मदर

d. सरोगेट मदर के लिए 36 महीनो का इंश्योरेंस

सरोगेट मदर का बीमा किस प्रकार का होता है ?

सरोगेट मदर का बीमा IRDA द्वारा प्रमाणित इन्स्योरंस कंपनी से 36 महीने के अवधि के लिए कराया जाता है . इस बीमा का प्रीमियम सरोगेसी करवाने वाले दम्पति को भरना होता है .

इन्स्योरंस में डिलीवरी के बाद होने वाली समय अवधि एवं जटिलता का कवरेज होना चाहिए.

क्या कोई भी IVF क्लिनिक से सरोगेसी करवा सकते हैं ?

नहीं . केवल वो IVF क्लिनिक जिन्होंने स्वयं को सरोगेसी क्लिनिक की तरह रजिस्टर किया है वोही सरोगेसी कर सकते हैं . हर शहर के जिल्ला अधिकारीयों के पास उस शहर के रजिस्टर्ड सरोगेसी क्लिनिक की सूची होती है .

सरोगेसी अधिनियम को माने बिना सरोगेसी करवाने से क्या कानूनन सज़ा मिल सकती है ?

जो भी दम्पति या डॉक्टर या एजेंट सरोगेसी अधिनियम में लिखे नियमों का उलंघन करते हुए सरोगेसी करवाते हैं , उन्हें क़ानूनी तौर पर दस साल तक की सज़ा हो सकती है और साथ ही दस लाख तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है .

जिन दम्पतियों में पुरुष साथी में शुक्राणु की कमी हो, क्या वह डोनर के शुक्राणु के साथ सरोगेसी करवा सकते हैं ?

नहीं . दम्पति के मामले में दोनों महिला एवं पुरुष का सरोगेसी द्वारा होने वाले बच्चे के साथ आनुवंशिक सम्बन्ध होना अनिवार्य है . इसलिए केवल स्वयं के शुक्राणु एवं स्वयं के अण्डों से ही सरोगेसी की जा सकती है . डोनर के अंडे या डोनर के शुक्राणु दोनों ही नहीं लिए जा सकते .

परन्तु यदि कोई महिला ( तलाकशुदा या विधवा ) सिंगल मदर बनना चाहे, तो वो अपने अंडाणु एवं डोनर शुक्राणु के ज़रिये सरोगेसी करवा सकती है.

एक सरोगेट मदर पर सरोगेसी प्रक्रिया की कोशिश कितनी बार की जा सकती है ?

एक सरोगेट मदर पर तीन से ज्यादा बार सरोगेसी प्रक्रिया की कोशिश नहीं की जा सकती .

सरोगेट मदर के गर्भाशय में कितने भ्रूणों को छोड़ा जा सकता है ?

किसी भी एम्ब्र्यो ट्रान्सफर के दौरान कोशिश एक ही अच्छे भ्रूण को छोड़ने की होनी चाहिए. परन्तु अधिनियम के अनुसार सरोगेट मदर पर एम्ब्र्यो ट्रान्सफर के दौरान ज्यादा से ज्यादा २ से 3 भ्रूण प्रस्थापित किया जा सकता है .

क्या कोई सिंगल पुरुष ( तलाकशुदा या जिसकी कभी शादी न हुई हो या जिनकी पत्नी का देहांत हो चुका हो) डोनर के अण्डों द्वारा सरोगेसी के ज़रिये पिता बन सकते हैं ?

नहीं . सिंगल पुरुषों को इस अधिनियम के अनुसार ये अधिकार नहीं दिया गया है .

क्या भारत में सरोगेसी द्वारा संतान प्राप्ति के लिए भारत का सिटीजन यानी नागरिकता होना अनिवार्य है ?

जी हाँ . भारत में सरोगेसी द्वारा संतान प्राप्ति के लिए दम्पति का भारतीय नागरिकता होना अनिवार्य है . OCI एवं POI कार्ड होल्डर्स भी सरोगेसी के ज़रिये संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं .

यदि दम्पति को एक बच्चा पहले से हो, तो क्या वो सरोगेसी के द्वारा दूसरा बच्चा प्लान कर सकते हैं ?

नहीं . पहले से एक बच्चा होने पर सरोगेसी द्वारा दूसरा बच्चा प्लान नहीं किया जा सकता . परन्तु यदि पहला बच्चा दिमागी या शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो या किसी जीवन को खतरे में डालने वाले विकार या लाइलाज घातक बीमारी से पीड़ित हो तो ऐसे में दम्पति स्वयं गर्भधारण न कर पाने की स्तिथि में सरोगेसी द्वारा दूसरा बच्चा प्लान कर सकते हैं .

क्या अकेली महिला सरोगेसी का विकल्प चुन सकती है?

हाँ। यदि महिला 23 से 50 वर्ष की आयु के बीच की है एवं भारतीय नागरिक है, वह सरोगेसी के माध्यम से माता बनने का विकल्प चुन सकती है। अकेली महिला, तलाकशुदा या विधवा महिला सरोगेसी की मार्ग से मातृत्व सुख पा सकती है .

क्या एक अकेला पुरुष सरोगेसी के माध्यम से पिता बनना चुन सकता है ?

नहीं . अविवाहित पुरुष , या तलाकशुदा , या पत्नी के देहांत के बाद, या LGBT , भारत के सरोगेसी अधिनियम के अनुसार कोई भी अकेला पुरुष सरोगेसी के माध्यम से फिलहाल पिता नहीं बन सकते .

इंदौर का बेस्ट सरोगेसी सेंटर कौनसा है ?

आज वर्तमान दिनांक तक भारत में कुल 125 वैधानिक सरोगेसी सेंटर है जो राष्ट्रीय एआरटी एवं सरोगेसी रजिस्ट्री में रजिस्टर्ड है। इनमे से इंदौर इन्फर्टिलिटी क्लिनिक भी एक है। हमारी पूरी कोशिश यही है की हम इच्छुक दम्पति को पूरी पारदर्शिता से सरोगेसी के जरिए माता पिता बनने में सक्षम रखे।

सरोगेसी में इंदौर इन्फर्टिलिटी आपकी किस प्रकार सहायता कर सकता है ?

इंदौर इन्फर्टिलिटी मध्यप्रदेश के सर्वश्रेष्ठ फर्टिलिटी क्लीनिकों में से एक है। हमारे यहां आधुनिक उपकरणों से जाँच एवं उपचार की प्रक्रिया की जाती है। इंदौर इनफर्टिलिटी  ने आईवीएफ इलाज एवं IVF के जरिये सरोगेसी  के कई सफल ट्रीटमेंट किए हैं जिनसे कई निःसंतान दम्पति को माता-पिता बनने का सुख प्राप्त हुआ है।

साथ ही हमारे यहाँ इस बात का पूरी तरह से ध्यान रखा जाता है की सरोगेसी में सरोगेट मदर या निःसंतान दम्पति किसी का भी दुरुपयोग या शोषण ना हो।

इंदौर इन्फर्टिलिटी क्लिनिक के निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ. गजेंद्र सिंह तोमर, यहाँ के भ्रूण विशेषज्ञ निःसंतानता सम्बंधित सभी ट्रीटमेंट (इलाज एवं उपचार) करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम हैं और अनुभवी भी। साथ ही इंदौर इन्फर्टिलिटी में आपके इलाज  सम्बंधित सभी जानकारी पूर्ण रूप से गुप्त रखी जाती है ।

यदि आपको इस विषय से सबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप 9111111011 पर संपर्क कर सकते हैं।